94 साल के अभियुक्त की सजा पर हाइकोर्ट ने लगाई रोक

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हत्या के मामले में उम्र कैद की सजा पाए 94 साल के बुजुर्ग कैदी की सजा निलंबित करते हुए उसे तत्काल जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया।


अभियुक्त सूर्यांश को 27 मार्च 24 जनवरी 2020 को अपर जिला एवं सेशन जज एंटी करप्शन गोरखपुर में सजा सुनाई थी। सजा के खिलाफ दाखिल अपील पर मुख्य न्यायमूर्ति गोविंद माथुर और न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा सिद्धार्थ वर्मा की पीठ ने सुनवाई की। कोरोना संक्रमण के जहाँ लॉक डाउन से हाइकोर्ट पूरी तरह से बंद है ।

इसके बावजूद मुख्य न्यायाधीश ने मामले की गंभीरता और अभियुक्त कीअधिक उम्र को देखते हुए उसकी अर्जी पर तत्काल संज्ञान लेकर सुनवाई की और उसे सुनाई गई सजा, अपील का निस्तारण होने तक निलंबित कर दी है । इतना ही नहीं कोर्ट ने सूर्यांश को मात्र पाँच हज़ार रुपये के निजी मुचलके पर जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है।

साथ ही शासकीय अधिवक्ता से इस आदेश की अनुपालन रिपोर्ट भी अगले सप्ताह तक की है। \nसूर्यांश को शिकारी गंज थाना गोरखपुर में 27 मार्च 1978 को दर्ज हुए हत्या और मारपीट के मुकदमे में अदालत ने 42 साल बाद दोषी करार देते हुए सजा सुनाई थी। इस सजा के खिलाफ अपील दाखिल कर कहा गया कि घटना के समय याची की उम्र लगभग 40 वर्ष थी । आज वह 94 वर्ष का है इसलिए अपील लंबित रहने के दौरान उसकी सजा पर रोक लगाई जाए तथा उसे जमानत पर रिहा किया जाए।