समता आंदोलन: संविधान संशोधन बिल के लिए पार्टी व्हिप रोकने की मांग, गिनाए ये तर्क

समता आंदोलन (Samta Andolan) ने संविधान के अनुच्छेद 334 में आरक्षण (Reservation) की अवधि को पुन: 10 वर्ष तक बढ़ाने के लिए लाए जाने वाले संविधान संशोधन बिल (Constitutional amendment bill) का विरोध करते हुए इसके लिए पार्टी व्हिप रोकने (Stop party whip) की मांग की है. इसके साथ ही इसे सर्वोच्च न्यायलय (Supreme Court) की सहमति के लिए अनुच्छेद-143 के अधीन भेजने की अपनी मांग को भी दोहराया है. समता आंदोलन ने इस बिल को पूरी तरह से असैंवधानिक (Unconstitutional) बताते हुए कहा कि यह भारतीय लोकतंत्र का मजाक है.


राज्यसभा और लोकसभा अध्यक्ष को भेजा ज्ञापन


समता ने इसके लिए राज्यसभा अध्यक्ष एम. वेंकैयानायडू और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला को ज्ञापन भेजा है. इनके अलावा राज्यसभा और लोकसभा के सभी सांसदों को भी इसकी प्रति भेजी गई है. समता ने इसके लिए कई तथ्यों और तर्कों का हवाला दिया है. समता आंदोलन का कहना है कि यह करोड़ों मतदाताओं के साथ धोखा है. यह भारतीय संसद की गरिमा को गिराने वाला है.





सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं लंबित हैं


 

 

समता आंदोलन के अध्यक्ष पाराशर नारायण शर्मा ने इसके तर्क गिनाते हुए बताया कि पूर्व में वर्ष 2000 और 2009 में किए गए इसी प्रकार के संशोधनों को निरस्त करवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं लंबित हैं. इनमें नोटिस जारी किए हुए हैं. वहीं वर्ष 2003 में इस मामले में पांच न्यायधीशों की संविधान पीठ गठित करने के आदेश भी हो चुके हैं.